दोस्तों, इस पोस्ट में हम बात करेंगे नायक जाती के बारे में और आपको बताएंगे की नायक जाती क्या है और नायक जाती की उत्पति कैसे हुई और नायक जाती का इतिहास क्या है, तो आओ शुरू करें-
नायक जाति
नायक एक हिंदू और सिख जाति हैं; कुछ नायक पंजाबी हैं जो भारत और पाकिस्तान में पाए जाते हैं। नायक मुख्य रूप से हिंदू और सिख धर्म का पालन करते हैं। विनय कृष्ण गिडवानी के अनुसार, नायक दावा करते हैं कि वे ऐतिहासिक रूप से ब्राह्मण थे। सिख धर्म का पालन करने वाले नायक ज्यादातर पश्चिम बंगाल, पंजाब और चंडीगढ़ में पाए जाते हैं।
नायक जाति की उत्पति
नटराज को देव के रूप में पूज ते थे नटराज यानी शिव भगवान की पूजा करते थे उस समय संयुक्त परिवार हुआ करते थे परिवार के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को परिवार का मुखिया माना जाता है जिनकी देखरेख में सब कार्य पूर्ण होते थे जो व्यक्ति शिकार करने जाते थे उनका एक मुख्य होता था जिसे नागा लोग नायक नाम से पुकारते थे।
इस तरह से आदिमानव नागा से नायक शब्द की उत्पत्ति हुई जैसे-जैसे आदि मानव की जनसंख्या में वृद्धि हुई तो शिकार करने वाले लोगों ने अपना अलग अलग समूह बना लिया। जो वीर साहसी पराक्रमी लोग समुह होता था।
संपूर्ण भारत की अगर बात की जाए तो हर जाति का नामकरण वर्ग व्यवस्था के अंतर्गत किया जाए किंतु नायक जाति का नामकरण खुद के साथ सौंदर्य की Karan हुआ है
नायक: जो योद्धा युद्ध में जाते थे, उनके संचालक (प्रमुख, सरदार) को ‘नायक’ कहा जाता था, जो युद्ध की कला में बहादुर और कुशल, बुद्धिमान, प्रतिभाशाली थे।
- नायक की उत्पत्ति रघुवंश के सूर्यवंश और क्षत्रिय से हुई थी।
- वर्तमान में नायक उच्च वर्ग की जाति है।
- रघुवंशम महाकाव्य के अनुसार, नायक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के वंशज हैं।
- भगवान राम को रघुवंशी या नायक माना जाता है और राजपूत इस तथ्य को सच मानते हैं।
नायक समाज की कुलदेवी
थांदला नगर से सात किमी दूर ग्राम सजेली में तालाब के पास घने जंगल के बीच वीरान क्षेत्र में विराजित वन माता का यह क्षेत्र अति प्राचीन है। यहां आदिवासी व नायक समाज इस क्षेत्र को कुलदेवी के रूप में पूजता है।
भारत में नायकों के प्रकार
- सूर्यवंशी राजपूत (सूर्यवंशी)
- रघुवंशी राजपूत (सूर्यवंशी की शाखा)
- सरस्वत ब्राह्मण (सरस्वती नदी के तट पर ब्राह्मण शाखा)
- पंजाबी/नायक (सिख)
व्यवसाय द्वारा नायकों के प्रकार
- जमींदार नायक
- राजपूत नायक
- वर्तमान में नायक एक किसान हैं, जो खेती और पशुपालन करते हैं और कुछ लोग सरकारी और निजी नौकरी करते हैं।
- राजस्थान में सूर्यवंशी/रघुवंशी नायक/राजपूत विवाहों में साढ़े तीन फेरे लिए जाते हैं और पुरुषों ने मेहंदी नहीं लगाई है।
नायक जाती का निवास स्थान
- पंजाब।
- राजस्थान।
- हरयाणा।
- उत्तर दक्षिण भारत और पाकिस्तान।
जनसांख्यिकी और व्यवसाय
नायक हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में रहते हैं। वे राजपूतों, जाटों, सिखों और बंगालियों में पाए जाते हैं। वे खुद को सूर्यवंशी क्षत्रिय मानते थे, वे आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले और पश्चिम गोदावरी जिले और गुजरात में अहमदाबाद के पास के कई गांवों में भी रहते हैं। कैथरीन हेन्सन के अनुसार, गुजराती नायकों का मुख्य व्यवसाय “नाटकों में गायन, नृत्य और अभिनय” था।
नायक समाज के गोत्र – नायक जाति
आलसिका | आदिवाल | अठवाल |
अडिया | अलसि | असलिका |
कुडार | कडवा | कल्याणा |
कलानी | कादेली | कडवासरा |
कुन्या | खराडी | खोखर |
खुडील | खोनीया | खेसली |
खारडु | खाडल | खाडलु |
गुवाडीया | गेचण्ड | गटाडा |
जाजोटड | गवारीया | गहलोत |
गोडवाल | घोरण | घारु |
घोटीया | घोघलीया | चावरीया |
चिण्डालिया | चारण | चरसिया |
छपरवाल | जखटीया | जोडा |
जैदीया | झाझोटा | झाला |
ढेढवाल | डुमना | डेनदुददा |
डाबला | डुलगच | डायमा |
तरग्या | तावा | दुपगा |
तगला | दोलिदा | दाबोडीया |
धुलीया | निराडी | नाखाटिया |
ननियाणा | पुगा | पवार |
पटाडा | पोलुस्वाल | फ़रड |
बारवासा | बारेसिया | बिहाल |
बोकडा | बागडीया | बेरवाल |
वसिस्ट | विवाल | विराड |
सुनार | सारसर | सोमवत |
सोढी | सन्यासी | सिरसिया |
साकला | सिघानिया | सिद्ध |
सगेलिया | सायत | सोनवाल |
सिसोदिया | राव | राणवा |
राग्वाल | रून्दवाल | होबाणिया |
इसमें लिडिया जाति भी शामिल है।
अन्य जातियों के बारे में जानकारी
Gahlot Caste | Kapoor Caste |
Khattar Caste | Meghwal Caste |
Chopra Caste | Sheoran Caste |
Saxena Caste | Khatri Caste |
Sunar Caste | Rajput Caste |
दोस्तों, आपको इस पोस्ट में हमने बताया है की नायक जाती क्या है और नायक जाती की उत्पति कैसे हुई और नायक जाती का इतिहास क्या है इसके अलावा नायक जाती के बारे में अन्य जानकारी भी दी है, अगर जानकारी पसंद आयी तो कमेंट करें और पोस्ट को शेयर करें।
दोस्तों अगर हमने कोई गलत जानकारी दी है तो कमेंट बॉक्स में बताएं और सही जानकारी भी बताएं मैं उसे आर्टिकल में इंस्टॉल कर दूंगा।
I am Vinod kumar Nayak. KHARDU
From Rajasthan
Dist shri ganganagar.
मुझे नायक होने पर गर्व है…
मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो मेरा नायक जाति में जन्म हुआ..💖💖💖
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Nayak ka matalab
मैं सुनील बोयत नायक
आप सब का आभार व्यक्त करता हूं, मुझे गर्व है कि मैं नायक जाति से हूं, मैं अपनी जाति को सर्वश्रेष्ठ और प्रथम स्थान पर लेकर जाऊंगा बस आप लोगों की सपोर्ट चाहिए धन्यवाद
Coming soon after becoming a rajsthan police officer 👮♂️🚨🚔🙏
Is me “lohara” to he hi nhi
आपकी पोस्ट को पढ़कर मेरा शीर्ष गर्व से ऊपर हो गया कि में रघुवंशी नायक हु!
में रोहित नायक सरकार
राजस्थान जिला बारां
जय जय नायक सरकार
आपके लेख में ऐ तों स्पष्ट नहीं हुआ कि वास्तव में नायक जाति क्या है, आपके लेख में आदिवासी, क्षत्रिय और राजपूत के साथ ब्राह्मण भी बता दिया।नायक जाति की उत्पत्ति नागा आदिवासी समुदाय से हुई है,जो समय के साथ रघुवंशी,सुर्यवंशी और जनजाति वर्ग में बंटती गई
Kuldevi ka pta kese kre
Jai Nayak
Good yes you are Right
nice
I am raghuvanshi Nayak mujhe bahut Khushi hai ki main ramvanshi ki hu I am lucky
Main Rajasthan Jaipur se hun
achha hai
Good 👍
Mein bhi raghuvanshi nayak hu mein jaipur se hu or mujhe to bacchpan se hi pata tha ki mein ram ke vanss se hu
✌️✌️👌👌👍👍
🥰🥰🥰😍😍😍😍
लेकिन नायक को कुछ प्रदेशों में जरनल कैटेगरी में कुछ राज्यों में एसी कैटेगरी क्यों रखा गया?
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इस लेख में स्पष्ट रूप में केवल ये लिखा है कि परिवार के मुखिया को नायक कहा गया है। ये सभी जन जातियो के कबिलो जैसे बंजारा,भील,गोंड आदि के मुखिया को ही कहा जाता था।
जाति क्या थी, नायक की उत्पति कैसे हुई इस में क्लियर नही हो पाया। आज भी बंजारा, अहेरिया, हेड़ी, गोंड, दिल्ली में सैनी, माली आदि नाम के साथ नायक ही लिखते है।
आपने सही टिप्पणी की है। लेखक द्वारा नायक समाज की सरकारी दस्तावेजों में अंकन का भी स्पष्ट नहीं किया गया।
नायक शब्द का अर्थ है भील जाति का व्यक्ति।भील जाति के कबिले के सरदार को नायक कहा जाता हैं। नायक मूल रूप भील जाति की संबद्ध जाति है।
दक्षिणी भारत में निवास करने वाली नायकड़ा जाति के रूप में पहचानी जाती हैं। दक्षिणी भारत में यह लोग मूलतः राजपूताना से विस्थापित होकर गईं।
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार animist, forest/Hill Tribes religion की जाति है जिसका परम्परा गत पेशा शिकार करना अंकित किया गया है। कुछ जगहों पर नायक जाति का पहरेदारी का काम भी बताया गया है।
नायक जाति के कुछ लोग को कई क्षेत्र अहेरी भी कहा जाता है जिसका अर्थ है कि सबसे बड़ें शिकारी का निशान चुक जाएं लेकिन अहेरी का निशाना कभी भी नहीं चुक सकता हैं।यानि अहेरी का निशाना अचूक होता है। यही कारण है इस जाति को शिकारी भी कहा जाता है। इसके साथ ही इस जाति को पंजाब hills क्षेत्र में थोरी भी कहा जाता है जिसका अर्थ है भील जाति की एक किस्म जिसे थोरी कहा जाता हैं। थोरी जाति के कुछ लोग जो पाबूजी की पड़ बाचते है जिन्हें भोपा कहा जाता है। भोपा अपने आप को नायक भी कहते है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश राज्य में भील भोपा के नाम संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति में सुमार करने की सिफारिश रिपोर्ट भी की गई।
इस प्रकार नायक मूलतः भील जाति की एक किस्म है जिसे अलग अलग क्षेत्रों में शिकारी, भोपा, थोरी,अहेरी, नायकड़ा और नायक के साथ पंजाब प्रोवेशी क्षेत्र में नायक राजपूत भी अंकित किया गया है।
लेकिन राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तैलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक एवं गोवा राज्य में तथा दमन दीव,दादर नगर हवेली संघ प्रदेश में इस जाति को अनुसूचित जनजाति में अधिसूचित किया गया।
आप इसमें (लिडिया) गोत्र लिखना भूल गए ।
Plz add and muje Nayak hone pr proud fill hua jo Nayak caste m jnm mila।